अपडेटेड 7 April 2024 at 13:51 IST

AI का इस्तेमाल अब मौसम जानने के लिए भी होगा, IMD प्रमुख महापात्रा ने गिनाए हैं फायदे

IMD प्रमुख Mrityunjay Mohapatra ने कहा- AI से जरिए न सिर्फ मौसम परिस्थितियों बल्कि ग्लेशियर टूटने जैसी स्थितियों का भी बेहतर अनुमान लगाया जा सकता है।

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मृत्युंजय महापात्र | Image: ANI

IMD using AI: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एआई (AI) और मशीन लर्निंग को लेकर खास जानकारी देते हुए बताया है कि AI से जरिए न सिर्फ मौसम परिस्थितियों बल्कि ग्लेशियर टूटने जैसी स्थितियों का भी बेहतर अनुमान लगाया जा सकता है।  

मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि भारत के मौसम वैज्ञानिकों ने मौसम पूर्वानुमान को और ज्यादा सटीक बनाने के लिए कृत्रिम मेधा (AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। महापात्र ने कहा कि अगले कुछ सालों में उभरती टेक्नोलॉजी ‘संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल’ (Technologies ‘Numerical Weather Forecasting Models) की भी पूरक होंगी, जिनका फिलहाल मौसम का पूर्वानुमान जताने के लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

IMD ने मौसम जानने के लिए तैयार किया नेटवर्क

मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मौसम विभाग 10 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए अवलोकन प्रणाली बढ़ा रहा है। IMD ने 39 डॉपलर मौसम रडार का एक नेटवर्क तैनात किया है, जो देश के 85% भू-भाग को कवर करता है और प्रमुख शहरों के लिए प्रति घंटे का भी पूर्वानुमान बताता है।

AI तकनीकों में सुधार करेगा- IMD प्रमुख

IMD प्रमुख ने कहा कि, ‘हमने AI का उपयोग सीमित तरीके से करना शुरू कर दिया है, लेकिन अगले 5 सालों में एआई हमारे मॉडल और तकनीकों में काफी सुधार करेगा।’ महापात्र ने आगे कहा कि IMD ने 1901 से देश के मौसम रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है और इसके जरिये विश्लेषण कर मौसम के मिजाज के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कृत्रिम मेधा का उपयोग किया जा सकता है।

महापात्र ने आगे कहा कि AI मॉडल डेटा विज्ञान मॉडल है जो मौसम संबंधित घटना की भौतिकी में नहीं जाते हैं, बल्कि जानकारी उपलब्ध कराने के लिए पिछले डेटा का उपयोग करते हैं, जिसका इस्तेमाल बेहतर पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।

AI और पूर्वानुमान मॉडल साथ मिलकर काम करेंगे 

महापात्र ने कहा कि AI का उपयोग करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और IMD में विशेषज्ञ समूह गठित किए गए हैं। IMD प्रमुख के मुताबिक पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार के लिए AI और संख्यात्मक पूर्वानुमान मॉडल दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे और दोनों साथ मिलकर काम करेंगे और कोई भी दूसरे की जगह नहीं ले सकता।

डेटा का उपयोग मिलेगी बेहतर जानकारी 

मशीन लर्निंग (Machine Learning) एआई और कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जो डेटा के उपयोग पर केंद्रित है। मौसम के पूर्वानुमान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में आईएमडी प्रमुख ने भीषण गर्मी की वजह से मध्य स्तर पर बादलों के छाने जैसी मौसम संबंधी घटनाओं का उल्लेख किया, जो स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर रही हैं।

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महापात्र ने कहा कि, ‘इससे निपटने के लिए IMD ने डॉपलर मौसम रडार तैनात किए हैं, जो देश के 85 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं। 350 मीटर प्रति पिक्सेल वाला यह उन्नत रडार डेटा संवहनी बादलों का पता लगाने में सक्षम है जिससे भारी बारिश और चक्रवात जैसी चरम घटनाओं को लेकर पूर्वानुमान की सटीकता काफी बढ़ जाती है।’

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 7 April 2024 at 13:51 IST