अपडेटेड 12 June 2025 at 17:45 IST
Air India Plane Crash: Mayday, Mayday... अहमदाबाद में प्लेन क्रैश से पहले पायलट ने किसे किया कॉल, क्या है इसका मतलब?
गुरुवार (12 जून) की दोपहर लगभग एक बजकर 35 मिनट पर अहमदाबाद के आसमान में एक एयर इंडिया विमान संकट में था। ऊंचाई घट रही थी, संकेतों में गड़बड़ी थी, और कॉकपिट में तनाव बढ़ रहा था। तभी रेडियो पर आवाज़ गूंजी। 'Mayday! Mayday! Mayday!' यह कोई सामान्य कॉल नहीं थी। यह एक पायलट की जिंदगी और मौत के बीच की पुकार थी उस पल की जब cockpit में हर सेकेंड कीमती था, हर निर्णय आख़िरी हो सकता था। जब पायलट यह सब कह रहा होता है, उसके हाथ कंप्यूटर, थ्रॉटल और चेकलिस्ट पर होते हैं।
अहमदाबाद, एक सामान्य गुरुवार की सुबह थी। हवाई अड्डे पर सब कुछ सामान्य लग रहा था। विमान में सवार यात्री चाय की चुस्कियों में व्यस्त थे, अनाउंसमेंट्स चल रहे थे, और रनवे पर तैयार खड़ा था एयर इंडिया का विमान लेकिन कुछ ही देर बाद, आसमान में जो हुआ, उसने सबका दिल दहला दिया। विमान के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को तीन बार वह शब्द कहा, जिसे कोई भी पायलट कभी कहना नहीं चाहता 'Mayday! Mayday! Mayday!' एटीसी का कमरा सन्न हो गया। यह शब्द कोई साधारण कॉल नहीं है। यह है 'जिंदगी-मौत के बीच का संकेत'। 'Mayday' शब्द की जड़ें फ्रांसीसी भाषा के 'm’aidez' में हैं, जिसका अर्थ होता है, 'मेरी मदद करो'।
विमानन और समुद्री संचार में, 'Mayday' कॉल तभी किया जाता है जब विमान या जहाज़ को तत्काल खतरा हो, विमान में सवार यात्रियों की जिंदगी संकट में हो और पायलट को तत्काल सहायता की आवश्यकता हो। इस कॉल को तीन बार दोहराना अनिवार्य होता है ताकि वह स्पष्ट हो, गलती से न लिया जाए, और हर संचार उपकरण पर साफ सुना जा सके। जब पायलट ने 'Mayday' कॉल दी, तो यह संकेत था कि कुछ बेहद गलत हो चुका है। शायद तकनीकी गड़बड़ी, शायद इंजन फेल, या कोई और जानलेवा समस्या। कॉल के बाद एटीसी ने तुरंत आपातकालीन प्रक्रिया शुरू की रनवे खाली कराया गया, रेस्क्यू टीम्स को अलर्ट किया गया, और हर संभव सहायता जुटाई गई। लेकिन अफ़सोस, वह कॉल एक चीख जैसी आखिरी साबित हुई। विमान क्रैश हो गया। दर्दनाक दृश्य। आग की लपटें। और फिर एक डरावनी ख़ामोशी।
कहां से आा Mayday शब्द?
'Mayday' एक ऐसा शब्द जो जिंदगियों को बदल देता है। जब कोई पायलट रेडियो पर कहता है 'Mayday! Mayday! Mayday!' तो वह सिर्फ आवाज़ नहीं होती। वह एक जीवन की पुकार होती है। पर क्या आप जानते हैं कि यह शब्द कहां से आया? किसने सोचा कि संकट की घड़ी में ये तीन शब्द पूरी दुनिया को चेतावनी देंगे? इस शब्द की शुरुआत साल 1923 में क्रॉयडन एयरपोर्ट, लंदन से हुई थी। लंदन के क्रॉयडन एयरपोर्ट पर एक वरिष्ठ रेडियो ऑफिसर थे फ्रेडरिक मॉकफोर्ड। वह एक ऐसे शब्द की तलाश में थे, जो पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच संकट के समय में तेजी से और स्पष्ट रूप से कन्वे किया जा सके। उस दौर में फ्रांस और इंग्लैंड के बीच हवाई ट्रैफिक सबसे अधिक था। फ्रेडरिक ने एक ऐसा शब्द चुना जो फ्रेंच और इंग्लिश दोनों में आसानी से समझा जा सके। 'Mayday' एक फ्रेंच शब्द 'm’aider' से प्रेरित था, जिसका अर्थ होता है, 'मेरी मदद करो!' इसे आधिकारिक मान्यता साल 1948 में मिली थी। 1948 में इसे अंतरराष्ट्रीय संकट कॉल के रूप में औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया। तब से, हर पायलट, मरीन ऑपरेटर, और कंट्रोल रूम के कर्मचारी को सिखाया गया, 'जब जान खतरे में हो, तो बिना देरी के तीन बार कहो ‘Mayday’ '
संकट में फंसे प्लेन की आवाज है 'मेडे मेडे मेडे'
कभी-कभी आकाश में ऐसा होता है कि एक प्लेन संकट में होता है, लेकिन वह रेडियो पर खुद संपर्क नहीं कर पाता। ऐसे में, आस-पास उड़ रहा कोई दूसरा विमान उसकी ओर से मेडे (Mayday) संकट कॉल भेजता है। इसे 'मेडे रिले' कहा जाता है। यह प्रक्रिया तब बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है जब मूल प्लेन रेडियो कम्यूनिकेशन खो देता है। अगर उसका संकट संदेश कोई और प्लेन सुनता है, तो वह उस संदेश को कंट्रोल टावर तक या अन्य विमानों तक दोहराता है ताकि मदद जल्द से जल्द पहुंचे। अगर पहली बार भेजे गए संकट कॉल का जवाब नहीं मिलता, तो सुनने वाला प्लेन बार-बार इस कॉल को दोहराता रहता है, जब तक कि मदद उपलब्ध न हो जाए। इस तरह, आसमान में भी विमान एक-दूसरे की जिम्मेदारी निभाते हैं। कभी अजनबी होकर भी संकट में साथी बन जाते हैं।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 12 June 2025 at 17:44 IST