अपडेटेड 21 July 2025 at 10:58 IST
मुंबई 7/11 ट्रेन ब्लास्ट में सभी 12 आरोपी बरी, 11 मिनट में हुए थे 7 बम धमाके, 189 लोगों की हुई थी मौत
Mumbai train blast case : 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेलवे की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर 7 बम धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोगों की मौत हो गई थी और 827 लोग घायल हुए थे।
7/11 Mumbai train blast case : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को झकझोर दिया था। ये बम धमाके चर्चगेट से बोरीवली की ओर जाने वाली ट्रेनों में प्रथम श्रेणी के डिब्बों में हुए, जो शाम के व्यस्त समय में यात्रियों से भरे हुए थे। धमाकों के लिए प्रेशर कुकर में रखे गए RDX बमों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे विस्फोट की तीव्रता और बढ़ गई थी।
बॉम्बे हाई कोर्ट आज मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेलवे की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर सात बम धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोगों की मौत हो गई थी और 827 लोग घायल हुए थे। महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य आरोपियों को फरार घोषित किया गया था, जिनमें से कुछ आरोपियों के पाकिस्तान में होने की आशंका जताई गई थी। जांच में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
निचली अदालत का फैसला
इससे पहले 2015 में निचली अदालत ने 12 लोगों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 5 दोषियों को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा दी गई थी। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत सरकार ने 5 आरोपियों की फांसी के कंफर्मेशन के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की, आरोपियों ने भी सजा के खिलाफ याचिका दायर की थी। अब इस पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी को बरी घोषित कर दिया है।
एक आरोपी की हो गई थी मौत
निचली अदालत में इस केस की सुनवाई 8 साल चली थी। कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। पांच आरोपियों मोहम्मद फैसल शेख, एहतेसाम सिद्दीकी, नवेद हुसैन खान, आसिफ खान, और कमाल अहमद अंसारी को बम लगाने के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। 7 अन्य आरोपियों तनवीर अहमद, मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मारगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीर अहमद लतीउर रहमान शेख को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। कोर्ट ने एक आरोपी वाहिद शेख को बरी कर दिया था। एक आरोपी कमाल अहमद अंसारी की 2021 में कोविड-19 के कारण नागपुर जेल में मौत हो गई थी।
कोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़ितों के परिवारों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो पिछले 18 सालों से जेल में हैं। अगर हाई कोर्ट निचली अदालत के फांसी के फैसले को बरकरार रखता, तो दोषी सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। लेकिन सभी आरोपियों को बरी करने इस हाई-प्रोफाइल मामले में एक बड़ा मोड़ है। क्योंकि यह आतंकवाद, जांच की निष्पक्षता और न्याय की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 21 July 2025 at 10:13 IST