अपडेटेड 20 July 2024 at 08:47 IST

कारगिल युद्ध: जेब में था पत्नी का खत... पढ़ने से पहले दी शहादत, दिल छू लेगी मेजर राजेश की कहानी

25 Years Of Kargil War: मेजर राजेश अधिकारी जंग के मैदान में घायल होकर भी शेर की तरह लड़े। एक मलाल जरूर रह गया होगा। जेब में पत्नी का खत रखा था, काश पढ़ लेते।

Follow :  
×

Share


कारगिल हीरो मेजर राजेश अधिकारी | Image: PTI (File Photo)

Kargil Hero Major Rajesh Adhikari: 'सुनो जाने वाले लौट के आना, कोई राह देखे भूल ना जाना।' जब 1999 में कारगिल में छिड़ी जंग लड़ने भारतीय सेना के सिपाही घर से निकले होंगे तो जाहिर तौर पर उनके परिवार वालों के दिमाग में बस इतनी ही बातें चल रही होगी। लेकिन सैनिकों को उस समय सिर्फ एक ही आवाज सुनाई दे रही थी, 'सीमाए बुलाएं तुझे चल राही, सीमाए पुकारे सिपाही।''

कारगिल युद्ध में कई ऐसे नायक हुए जिन्होंने दुश्मनों के दांत खट्टे किए, लेकिन फिर वीरगति को प्राप्त हो गए। 26 जुलाई को भारत-पाकिस्तान कारगिल युद्ध के 25 साल हो जाएंगे। आइए आज बात करते हैं मेजर राजेश अधिकारी की, जो जंग के मैदान में घायल होकर भी शेर की तरह लड़े। हालांकि, एक मलाल जरूर रह गया होगा। जेब में पत्नी का खत रखा था, काश पढ़ लेते।

कारगिल नायक मेजर राजेश अधिकारी की कहानी

कारगिल, वो जंग जिसमें हमारे शूरवीरों ने अपने लहू से विजय गाथा लिखी थी। कारगिल युद्ध में देश की मिट्टी की रक्षा में कई वीर योद्धाओं ने अपने प्राणों को युद्धभूमि के लिए न्योछावर कर दिया था, जिनके बलिदान को देश कभी भूल नहीं सकता। ऐसी ही कहानी है मेजर राजेश अधिकारी की, जिन्होंने तोलोलिंग चोटी पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों के मंसूबे पर पानी फेरते हुए यहां भारतीय तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाई।

जेब में रखा था पत्नी का खत

कारगिल युद्ध में मेजर राजेश सिंह अधिकारी 18 ग्रेनेडियर्स बटालियन में थे। उनकी टीम को तोलोलिंग पर बैठे दुश्मनों को खदेरने का आदेश मिला था। कारगिल जीतने के लिए तोलोलिंग पर फतह बेहद जरूरी थी। पाकिस्तान कश्मीर वैली से लद्दाख को जोड़ने वाले रोड को बर्बाद करना चाहता था। मेजर राजेश सिंह अधिकारी और टीम 16,000 फीट पर स्थित तोलोलिंग पर बैठे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने निकल पड़े।

Major Rajesh Singh Adhikari death anniversary : कारगिल युद्ध में खुद घायल  होने के बाद भी दुष्मनों को मारते हुए आगे बढ़ रहे थे मेजर राजेश अधिकारी - Major  Rajesh Singh Adhikari

तोलोलिंग पर बैठे पाकिस्तानी सेना पर हमले से पहले मेजर राजेश अधिकारी को उनकी पत्नी का एक खत सौंपा गया। कारगिल नायक ने उस खत को बिना पढे जेब में रखा और कहा कि ये ऑपरेशन खत्म होने के बाद इसे पढूंगा। मेजर ने कहा कि मेरे लिए अभी अपनी निजी जिंदगी से जरूरी देश की रक्षा करना है। इसके बाद वो चुपचाप अपनी AK-47 राइफल और गोला बारूद और ग्रेनेड से भरे बैग को लेकर निकल पड़े।

तोलोलिंग पर कब्जा करना आसान नहीं था। दुश्मन ऊंचाई पर बैठे थे और वहां से लगातार गोलियां बरसा रहे थे, लेकिन हमारे शूरवीर कहां हार मानने वाले थे। मेजर राजेश अधिकारी ने अपनी टुकड़ी के साथ तोलोलिंग के पास पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर हमला किया। मौका मिलते ही उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर को तबाह कर दिया और घुसपैथियों को मार गिराया। लेकिन इस दौरान दुश्मनों ने उनपर फायरिंग शुरू कर दी। घायल होने के बावजूद वो लड़ते रहे। अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने दुश्मनों पर ताबड़तोड़ वार किया और तोलोलिंग पर दूसरे बंकर पर भी कब्जा जमा लिया। गोलीबारी के दौरान एक गोली उनके सीने पर लगी।  मेजर राजेश अधिकारी 30 मई, 1999 को वीरगति को प्राप्त हुए। पत्नी का खत जेब में ही रखा रह गया। देश के लाल ने बिना चिट्ठी पढे ही शहादत दी। सेना ने उस खत को बिना पढे शव के साथ उनकी पत्नी को सौंप दिया।

महावीर चक्र से हुए सम्मानित

कारगिल युद्ध में शूरवीरों की तरह देश के लिए लड़ने वाले मेजर राजेश सिंह अधिकारी को देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होने पर पूरा देश मेजर अधिकारी की वीरता को याद करेगा। 

इसे भी पढ़ें: Kargil War: 5 गोली खाकर काटी पाकिस्तानी मेजर की गर्दन, भारत के इस 'कोबरा' से थर्राया था दुश्मन

Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 20 July 2024 at 08:32 IST