अपडेटेड 26 June 2024 at 10:02 IST

ओम बिरला को चुनौती दे पाएंगे के सुरेश? लोकसभा के नंबर गेम में कौन किस पर कितना भारी, पूरा समीकरण

बीजेपी ने ओम बिरला को स्पीकर पद के लिए नामित किया है, जो पहले 17वीं लोकसभा में स्पीकर रह चुके हैं। ओम बिरला का मुकाबला कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश से होगा।

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18th Lok Sabha Speaker Post Election | Image: PTI

Lok Sabha Speaker Election: देश में दशकों बाद आज लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। भारत के राजनीतिक इतिहास में लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव अभी तक सिर्फ तीन बार (1952, 1967 और 1976 में) हुआ है। परंपरागत रूप से लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता था। हालांकि दशकों में पहली बार सत्तारूढ़ एनडीए सरकार और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बनी है। नतीजन चुनाव के जरिए अब लोकसभा अध्यक्ष चुना जाएगा। ये घटनाक्रम तब हुआ जब एनडीए ने विपक्षी गुट की इस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बदले में उपसभापति का पद विपक्ष के लिए छोड़ दिया जाए।

बीजेपी ने अपने कोटा सांसद ओम बिरला को स्पीकर पद के लिए नामित किया है, जो पहले 17वीं लोकसभा में स्पीकर रह चुके हैं। ओम बिरला राजस्थान के कोटा से तीसरी बार सांसद बने हैं। इस चुनाव में ओम बिरला का मुकाबला केरल के मावेलिकरा से 8 बार सांसद रह चुके कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश से होगा। सुरेश 18वीं लोकसभा में सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले नेता हैं।

क्यों स्पीकर पर आम सहमति नहीं बनी?

असल में स्पीकर पद के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष में सहमति डिप्टी स्पीकर की कुर्सी को लेकर नहीं बनी। विपक्ष के INDI गठबंधन ने डिप्टी स्पीकर के पद की मांग की थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सूचित किया है कि विपक्ष एनडीए के स्पीकर उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए तैयार है, बशर्ते कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए। हालांकि बीजेपी विपक्ष की शर्त पर खामोश रही। बीजेपी की ओर से कोई स्पष्टता नहीं मिलने पर INDI गठबंधन ने स्पीकर पद के लिए कांग्रेस सांसद के सुरेश का नाम आगे कर दिया।

विपक्ष की शर्त पर मोदी सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष की इस बार भूमिका रही है और शर्तों के साथ जिस तरीके से विपक्ष सामने आया है कि डिप्टी स्पीकर का पद पर सहमति करें। हम सब उस पर चर्चा के लिए तैयार थे, पर उसके बावजूद उस पर अड़ना मुझे नहीं लगता कि ये उचित है।

आज स्पीकर का चुनाव, पार्टियों ने जारी किया व्हीप

18वीं लोकसभा के लिए अध्यक्ष का चुनाव आज होगा। इसके लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने सांसदों के लिए व्हीप जारी किया है। सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी दोनों ने अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, जिसमें सभी सांसदों से सुबह 11 बजे से लेकर कार्यवाही समाप्त होने तक लोकसभा में उपस्थित रहने को कहा गया है।

लोकसभा के नंबर गेम में कौन किस पर कितना भारी?

543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सांसदों वाले एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है। बीजेपी को अकेले 240 सीटें मिली थीं। हालांकि वो बहुमत हासिल करने में विफल रही। अभी विपक्षी दलों के INDI गठबंधन के पास सांसदों की संख्या 234 है। कुल 16 सीटें निर्दलीय या अन्य क्षेत्रीय दलों ने जीतीं। 

सूत्र बता रहे हैं कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने भी स्पीकर चुनाव में NDA को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इस पार्टी के पास 4 सांसद हैं। खैर, पुष्टि तो नहीं है, लेकिन सूत्र दावा कर रहे हैं कि स्पीकर पद के लिए NDA के पक्ष में 300 से ज्यादा सांसद वोट डालने जा रहे हैं। इस तरह नंबर गेम में NDA आगे है, जिससे ओम बिरला की जीत संभव हो जाती है।

अभी 7 सांसद स्पीकर पद के चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे, क्योंकि इन्होंने अभी लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ नहीं ली है। इन सांसदों में टीएमसी से 3, कांग्रेस और सपा से 1-1 सांसद हैं। दो सांसद एनडीए के हैं। वोटिंग के दौरान इन सांसदों की गैरहाजिरी का नुकसान सीधे तौर पर INDI गठबंधन को ही उठाना पड़ेगा। इस तमाम डेवलपमेंट के बीच टीएमसी जैसे दलों ने अपनी नाराजगी दिखाई तो कांग्रेस के सांसद के सुरेश की हार बड़े अंतर से हो सकती है।

कब-कब लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ?

ये चौथी बार है, जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होंगे। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, इस तरह का पहला मुकाबला 1952 में जीवी मावलंकर और शंकर शांताराम के बीच हुआ था। मावलंकर 394 वोटों से जीते थे जबकि शांताराम को 55 वोट मिले थे। इस तरह का दूसरा मुकाबला 1967 में हुआ। संजीव रेड्डी को स्पीकर बनते हुए दिखाया गया, जिसमें प्रस्ताव 278-207 वोटों से पारित हुआ। ये स्पीकर के सबसे करीबी चुनावों में से एक था। इसी चुनाव के दौरान एक सांसद ने गुप्त मतदान की मांग की थी। तीसरी बार 1976 में बलिराम भगत और जगन्नाथ राव के बीच मुकाबला हुआ था। भगत 344 वोटों से जीते थे, जबकि जगन्नाथ राव को 58 वोट मिले थे। इस बार के मुकाबले में जीत का अंतर बहुत कम रहने की संभावना है।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 26 June 2024 at 09:50 IST