अपडेटेड 25 June 2025 at 15:22 IST
Surya Grahan: राहु केतु क्यों करते हैं सूर्य चंद्रमा से नफरत? जानें सूर्य ग्रहण की कथा
Surya Grahan katha in hindi: बता दें कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सिंतबर को लगेगा। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि सूर्य ग्रहण क्यों लगता है और राहु केतु का क्या संबंध है? जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है, जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है। इन दोनों ही ग्रहणों के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।
Image: Shutterstockबता दें, चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों राहु और केतु से संबंधित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुंद्र मंथन चल रहा था तब उस दौरान देवों और देवताओं के बीच में अमृत पान को लेकर विवाद चल रहा था।
Image: ApAdvertisement
ऐसे में मोहिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान ने मोहिनी का रूप धारण किया। इसके बाद भगवान विष्णु ने देवता और दानवों को अलग-अलग बैठा दिया।
Image: Freepikलेकिन देवताओं के बीच में कुछ दानव छल से आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। ऐसा करते हुए चंद्रमा और सूर्य ने देख लिया।
Image: AIAdvertisement
इसके बाद चंद्र और सूर्य इस बात की जानकारी भगवान विष्णु को दे दी। इसके बाद भगवान विष्णु ने राहु का सिर अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया।
Image: AIऐसे में सिर अलग हो गया और धड़ अलग हो गया। ऐसे में राहु ने अमृत पान कर करा हुआ था इसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई।
Image: freepikAdvertisement
ऐसे में सिर का भाग राहु कहलाया और धड़ वाला भाग केतु कहलाया। इसी कारण सूर्य और चंद्रमा से राहु केतु नफरत करने लगे और उन्हें अपना शत्रु मानने लगे।
Image: freepikजब पूर्णिमा के दिन राहु चंद्रमा को ग्रस लेता है तब चंद्र ग्रहण कहलाता है और जब अमावस्या के दिन सूर्य को राहु ग्रस लेता है तो सूर्य ग्रहण कहलाता है।
Image: freepikDisclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 25 June 2025 at 15:14 IST