अपडेटेड 27 February 2025 at 19:41 IST

जब आशुतोष राणा ने सुनाया शिव तांडव स्तोत्र का हिन्दी भावानुवाद, माहौल हो गया ऊर्जामय

प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे बॉलीवुड स्टार आशुतोष राणा ने शिव तांडव सुना उन्हें भाव विभोर कर दिया। महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की।

A file photo of Ashutosh Rana | Image: Ashutosh Rana/Instagram

प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे बॉलीवुड स्टार आशुतोष राणा ने शिव तांडव सुना उन्हें भाव विभोर कर दिया। महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने पत्नी रेणुका शहाणे का भी जिक्र किया। दर्शन करते हुए राणा ने प्रेमानंद महाराज से कहा- आपकी दृष्टि पड़ने मात्र से ही मैं सेनेटाइज हो गया। बातों को विराम देने से पहले उन्होंने आलोक श्रीवास्तव के भाषानुवाद से उत्पन्न शिव तांडव भी सुनाया। एक्टर ने बताया कि परम ज्ञानी रावण की रचना को आसान शब्दों में इसलिए रचा गया ताकि आम जनों के कंठ तक ये पहुंच सके।

गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का

महाराज के आग्रह पर उन्होंने सरल शिव तांडव सुनाया। जो यूं था- जटाओं से है जिनके जलप्रवाह माते गंग का। गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का। डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्। इसके बाद उन्होंने शिव की भोलेपन की व्याख्या भी की। कहा कि इतने भोले हैं वो कि जिसने उन्हें सिद्ध किया, उन्हें उन्होंने प्रसिद्धि दिला दी।

राणा की धारा प्रवाह अभिव्यक्ति से धर्म गुरु आह्लादित हुए। उनकी प्रशंसा की। संत महाराज के शिष्यों ने उनको श्री जी की प्रसादी चुनरी पहनाई। आज्ञा लेने से पहले आशुतोष राणा ने संत प्रेमानंद महाराज को नर्मदेश्वर महादेव, श्री जी के श्रृंगार हेतु लाल चंदन और कन्नौज का इत्र भेंट किया।

लगभग 10 मिनट तक राणा उनके आश्रम में रहे और उन्होंने पत्नी रेणुका शहाणे और छोटे बेटे का भी जिक्र किया। कहा- मेरी पत्नी और बेटा आपको रोज सुनते हैं। उन्होंने आपके स्वास्थ्य की कामना की है। लेकिन लग नहीं रहा कि आप अस्वस्थ हैं। आप तो हमें परम स्वस्थ लग रहे हैं।

इस पर प्रेमानंद महाराज ने हंसते हुए कहा- हमारी रोज डायलिसिस होती है। शरीर अगर अस्वस्थ है और मन स्वस्थ है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस पर राणा ने कहा- महाराज, हमें आप शरीर, मन और आत्मा सभी तरह से स्वस्थ लगते हैं।

प्रेमानंद महाराज के दर्शन के दौरान आशुतोष राणा ने अपने गुरु को भी याद किया। राणा ने कहा, "मेरे गुरु दद्दा जी महाराज की शरण में 1984 में आ गए थे और 2020 में अंतिम सांस तक उनके साथ रहे। यह तो गुरु कृपा है जो आपके दर्शन हो गए। अन्यथा हम लोग माया के पंथ में फंसे रहते हैं।"

इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा- अपनी प्रतिष्ठा, अपने धन और भोग वासनाओं को एक साइड में करके भक्ति पथ पर चलना कठिन है। लोक प्रतिष्ठा मिलती है। इसके आगे चलने की कोई इच्छा नहीं होती। लोक प्रतिष्ठा के कारण आगे बढ़ने की चेष्टा नहीं रहती। आशुतोष राणा ने कहा- महाराज, बस आपकी कृपा हम पर बनी रहे।

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Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 27 February 2025 at 19:41 IST