अपडेटेड 14 March 2025 at 12:04 IST
ईशा मालवीय हर साल ऐसे मनाती हैं होली, अपनी खास आदत के बारे में किया खुलासा
मशहूर टीवी एक्ट्रेस ईशा मालवीय हर साल होली खेलते समय एक खास परंपरा का पालन करती हैं। उन्होंने बताया कि वह हमेशा सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करती हैं और उन्हें गुलाल लगाती हैं।
मशहूर टीवी एक्ट्रेस ईशा मालवीय हर साल होली खेलते समय एक खास परंपरा का पालन करती हैं। उन्होंने बताया कि वह हमेशा सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करती हैं और उन्हें गुलाल लगाती हैं। उन्होंने बताया, "मैं इसे कोई रस्म नहीं कहूंगी, लेकिन यह एक आदत है जिसका मैं हर साल पालन करती हूं। मैं हमेशा सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करती हूं और गुलाल लगाती हूं। यह ऐसी चीज है जिसे मैं कभी नहीं छोड़ती। इसके बाद, हम होली मनाना शुरू करते हैं।"
उन्होंने एक और खास परंपरा के बारे में शेयर किया। उन्होंने कहा कि वह होली पर उनकी दादी द्वारा बनाई गई गुजिया और अन्य भारतीय स्नैक्स का आनंद उठाती हैं। उन्होंने कहा, "यहां तक कि जब मैं मुंबई में होती हूं, तो वह मुझे गुजिया जरूर भेजती हैं, यह एक ऐसी परंपरा है जो मुझे बहुत सुकून और खुशी देती है।"
'उड़ारियां' स्टार ने पुरानी यादें ताजा कीं और मध्य प्रदेश के अपने गांव नर्मदापुरा में रंगों के त्योहार में बारे में बताया, "मेरी सबसे यादगार होली तब की है, जब मैं 12-13 साल की थी और अपने परिवार के साथ मध्य प्रदेश में होली मना रही थी। उस समय हम सब साथ होते थे और किसी को भी काम या अन्य प्रतिबद्धताओं के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता था।"
ईशा मालवीय ने कहा, "मैं जैसे-जैसे बड़ी हुई और अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए अपने गृहनगर से बाहर चली गई। मैंने 16-17 साल की उम्र से लगभग हर साल अपने परिवार के सदस्यों के बिना होली मनाना शुरू कर दिया, लेकिन बचपन के वे उत्सव वाकई खास थे। हम नर्मदापुरा में अपने गांव में सब कुछ प्लान करते थे और यह हमेशा मस्ती से भरा होता था, ये यादें मेरे लिए अविश्वसनीय रूप से कीमती हैं।"
उन्होंने कहा, “असल जिंदगी में आप बस खेलते हैं, मौज-मस्ती करते हैं और कुछ नहीं सोचते, लेकिन सेट पर यह एक काम है। आपको होली खेलते समय भी अच्छा दिखना होता है। रंगों को बहुत संतुलित और हिसाब में लगाना होता है, खासकर गालों पर।” उन्होंने कहा, "हमें अक्सर एक ही सीन को कई बार शूट करना पड़ता है और हम त्योहार का खुलकर आनंद लेने की अपेक्षा अपनी संवाद शैली को बोलने और अपनी उपस्थिति बनाए रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।"
Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 14 March 2025 at 12:04 IST