अपडेटेड 16 August 2025 at 15:07 IST

जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई: गोकुल में बधाई की गूंज और भक्ति का उल्लास

"जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई, गोकुल में बाजे बधाई" गीत इसी भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को स्वर देता है। यह गीत जन्माष्टमी के अवसर पर एक भक्तिपूर्ण प्रयास है, जो श्रोताओं को उस दिव्य क्षण से जोड़ता है जब नारायण ने अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।

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Malini Awasthi New Bhajan | Image: youtube

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भारतीय संस्कृति में केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि आनंद, प्रेम और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। "जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई, गोकुल में बाजे बधाई" गीत इसी भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को स्वर देता है। यह गीत जन्माष्टमी के अवसर पर एक भक्तिपूर्ण प्रयास है, जो श्रोताओं को उस दिव्य क्षण से जोड़ता है जब नारायण ने अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मां ने किया। यह विरोधाभास ही उनकी लीला की शुरुआत है—जहां जन्म हुआ अंधकार में, लेकिन पालन हुआ प्रेम और प्रकाश में। गीत में इसी भाव को खूबसूरती से उकेरा गया है, जहां गोकुल की गलियों में बधाई बज रही है, और पूरा ब्रजमंडल आनंद में डूबा है।

वीडियो में पारंपरिक संगीत, लोक शैली और भावनात्मक गायकी का अद्भुत संगम है। यह न केवल एक भक्तिपूर्ण प्रस्तुति है, बल्कि भारतीय लोक संस्कृति की समृद्धि को भी दर्शाता है। गीत के बोल सरल हैं, लेकिन उनमें गहराई है—हर शब्द श्रीकृष्ण के जन्म की महिमा को गाता है, और हर सुर भक्त के हृदय को छूता है।

इस गीत को सुनते हुए ऐसा लगता है मानो हम भी उस उत्सव का हिस्सा हैं, जब देवताओं ने पुष्पवर्षा की थी, जब नंद बाबा ने आनंद में गायों को सजाया था, और जब यशोदा मां ने पहली बार अपने लाला को गोद में लिया था।

इस जन्माष्टमी पर यह गीत एक भावनात्मक निमंत्रण है—आइए, हम भी गोकुल की बधाई में शामिल हों क्योंकि जब कृष्ण जन्म लेते हैं, तो सिर्फ एक बालक नहीं आता... धर्म, प्रेम और आनंद का युग शुरू होता है।

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 16 August 2025 at 15:07 IST