अपडेटेड 20 August 2021 at 15:42 IST
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा का मामला: HC के CBI जांच के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दायर
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने से राज्य की सियासत में उबाल आ गया है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने से राज्य की सियासत में उबाल आ गया है। कोलकाता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश से जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नाखुश है तो विपक्षी दल बीजेपी इसका स्वागत कर रही है। इस बीच सीबीआई जांच के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दायर की गई है। एक याचिकाकर्ता-अधिवक्ता अनिंद्य सुंदर दास ने यह कैविएट याचिका दाखिल की है।
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याचिकाकर्ता-अधिवक्ता अनिंद्य सुंदर दास ने बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए कोलकाला हाईकोर्ट के आदेश के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट आवेदन दायर किया है। याचिकाकर्ता द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए एक कैविएट आवेदन दायर किया जाता है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, याचिकाकर्ता अनिंद्य सुंदर दास ने बताया है कि, 'उसने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दायर की है कि अगर पश्चिम बंगाल सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करती है तो मुझे सुना जाना चाहिए।'
इससे पहले गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए कोलकात्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद हुई हिंसा में दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजे की तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। जबकि हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोपों को भी खारिज कर दिया।
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हाईकोर्ट के आदेश के तहत अब सीबीआई दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच करेगी। सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अलग डिवीजन बेंच का गठन किया गया। इसी तरह, चुनाव के बाद हुए अपेक्षाकृत कम घातक अपराधों की जांच के लिए खंडपीठ ने एसआईटी का भी गठन किया। कोलकाता के पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणवीर कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी एसआईटी के सदस्य होंगे। एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी। सीबीआई और एसआईटी दोनों को छह हफ्ते बाद अपनी शुरूआती रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी।
4 मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए डीआईजी (जांच) से आयोग के जांच प्रभाग के अधिकारियों की एक टीम गठित करने का अनुरोध किया था, ताकि तथ्य का पता लगाया जा सके। 18 जुलाई को हाईकोर्ट ने एनएचआरसी को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, जो बंगाल में चुनाव बाद की हिंसा के दौरान कथित रूप से विस्थापित हुए लोगों द्वारा दायर शिकायतों की जांच करेगी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने एंटली निर्वाचन क्षेत्र से विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास के समन्वय के लिए एनएचआरसी, एसएचआरसी और एसएलएसए द्वारा नामित सदस्यों की एक समिति भी गठित की थी।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 20 August 2021 at 15:42 IST