अपडेटेड 4 February 2021 at 14:53 IST

तापसी पन्नू के ‘प्रोपेगेंडा टीचर’ वाले ट्वीट पर बरसीं कंगना रनौत, कहा- ‘बी ग्रेड सोच’

बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत और तापसी पन्नू के बीच किसान आंदोलन को लेकर लड़ाई हो गयी है।

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बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) के बीच की लड़ाई के बारे में कौन नहीं जानता। दोनों के बीच एक बार फिर गर्मागर्मी देखी गई जब क्वीन एक्ट्रेस ने बदला एक्ट्रेस के किसान आंदोलन को लेकर किए ट्वीट पर जवाब दिया। 

‘प्रोपेगेंडा टीचर ना बनें’- तापसी पन्नू 

बता दें कि किसान आंदोलन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार रिहाना, जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस और मिया खलीफा ने ट्वीट किया था जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने उन लोगों को चेतावनी देते हुए एक बयान भी जारी किया और कहा कि ‘भारत के खिलाफ ये प्रोपेगैंडा ना फैलाए’। साथ ही कई नेता और सेलिब्रिटी भी इस मुद्दे पर भारत सरकार का समर्थन देते नजर आए थे। हालांकि, तापसी पन्नू के विचार इस मुद्दे पर अलग हैं।

उन्होंने गुरुवार को ट्वीट करते हुए लिखा- “अगर एक ट्वीट आपकी एकता को तोड़ सकता है, एक मजाक आपके विश्वास को हिला सकता है और एक शो आपके धार्मिक विश्वास को आहत कर सकता है तो वे आप हैं, जिन्हें अपने वैल्यू सिस्टम पर काम करने की जरूरत है न कि दूसरों के लिए प्रोपेगेंडा टीचर बनने की।”

कंगना रनौत ने दिया तापसी पन्नू को पलटवार

पिंक एक्ट्रेस के ट्वीट पर पलटवार करते हुए, कंगना ने लिखा- “बी ग्रेड लोगों की बी ग्रेड सोच, हर इंसान को अपनी आस्था, मातृभूमि और परिवार के लिए खड़ा होना चाहिए। यही कर्म है, यही धर्म भी है। फ्री फंड का बस खाने वाला मत बनो। इस देश का बोझ... इसलिए मैं उन्हें बी ग्रेड कहती हूं। इनको नजरअंदाज करें।”

गौरतलब कि किसान आंदोलन पर ट्वीट करते हुए रिहाना ने लिखा था कि ‘हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’ वही, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया था और खुला खुला ऐलान किया था कि वे किसानों के साथ हैं। 

वहीं विदेश मंत्रालय ने बुधवार को ग्लोबल स्टार्स के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी थी। बयान में कहा गया था कि, “भारत की संसद ने एक पूर्ण बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानूनों को पारित किया है। इन सुधारों ने विस्तारित बाजार पहुंच प्रदान की और किसानों को अधिक लचीलापन दिया। उन्होंने आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ खेती का मार्ग भी प्रशस्त किया है।”

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 4 February 2021 at 14:40 IST