अपडेटेड 12 April 2023 at 14:20 IST

Karnataka: 1000 साल पहले बनाई गई थी 1 पत्थर से दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, 12 साल में होता है महामस्तकाभिषेक

Karnataka में भगवान बाहुबली भगवान की 57 फीट ऊंची प्रतिमा है, जिसका निर्माण करीब 1000 साल पहले हुआ था। हर 12 सालों में यहां महामस्तकाभिषेक का आयोजन होता है।

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bahubali bhagwan (pc: PTI) | Image: self

Bahubali Bhagwan in Karnataka: कर्नाटक में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी पार्टियां जोर-शोर के साथ तैयारी में जुट गई हैं। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच कई गहरे रिश्ते रहे हैं। कर्नाटक के हासन जिले में श्रवणबेलगोला नाम का नगर है, जहां भगवान बाहुबली का प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है। श्रवणबेलगोला प्राचीन भारत की आज भी गवाही देता नजर आता है।   

श्रवणबेलगोला को गोम्मटेश्वर बाहुबली के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भगवान बाहुबली की 57 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। यह प्रतिमा एक पत्थर से बनाई गई है और विश्व में एक पत्थर से बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा होने का दर्जा भी इसी प्राप्त है। खास बात ये है कि भगवान बाहुबली का अयोध्या से भी कनेक्शन रहा है। 

अयोध्या नगरी में हुआ था बाहुबली का जन्म

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और सुनंदा के घर बाहुबली का जन्म हुआ था। वे इक्ष्वाकु वंश से ताल्लुक रखते थे। बचपन से ही वे काफी प्रतापी थें। उन्हें चिकित्सा, तीरंदाजी और शास्त्र में महारत हासिल थी। बाहुबली का अपने भाई भरत से राज्य को लेकर युद्ध हुआ था, जिसमें वो विजयी हुए थे। अपने भाई से युद्ध जीतने के बाद बाहुबली को वैराग्य उत्पन्न हो गया और उन्होंने जैन मुनि दीक्षा ले ली। करीब 1 साल तक उन्होंने तप किया।

वे साधना में इतने लीन हो गए थे कि उनके ऊपर बेल चढ़ गई थी। चीटियों और अन्य कीड़े-मकोड़ों का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। 1 वर्ष की कठोर साधना के बाद बाहुबली भगवान को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और कुछ समय बाद अष्ट कर्म का नाश कर उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति की। बताते चलें कि भगवान राम का जन्म भी इक्ष्वाकु वंश में ही हुआ था।  

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12 वर्षों में होता है महामस्तकाभिषेक

श्रवणबेलगोला के बाहुबली भगवान का काफी महत्व है। इस प्रतिमा का निर्माण गंग वंश के मंत्री और सेनापति चामुंडराय ने सन 981 में कराया था। करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर से यह प्रतिमा देखी जा सकती है। यह प्रतिमा विंध्यगिरी हिल और चंद्रगिरी हिल पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जैन धर्म के साथ ही सनातन परंपरा को मानने वाले भी भगवान बाहुबली को लेकर विशेष आस्था दिखाते हैं। प्रत्येक 12 वर्षों में यहां पर महामस्तकाभिषेक का आयोजन किया जाता है। आखिरी बार साल 2018 में महामस्तकाभिषेक का आयोजन हुआ था। यह भव्य आयोजन अब 2030 में आयोजित होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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Published By : Mohit Jain

पब्लिश्ड 12 April 2023 at 14:17 IST