अपडेटेड 15 April 2023 at 06:39 IST
दक्षिण भारत के काशी नाम से प्रसिद्ध हैं कर्नाटक के ये दो मंदिर, वाराणसी जितना है महत्व
Uttar Pradesh से सैकड़ों किलोमीटर दूर कर्नाटक में दो ऐसी जगह है, जिन्हें दक्षिण की काशी के नाम से जाना जाता है।
Kashi of South India: उत्तर प्रदेश की काशी नगरी विश्वभर में विख्यात है। हिंदू धर्म के अलावा जैन और बौद्ध धर्म में भी इस जगह का विशेष महत्व है। हर साल लाखों-करोड़ों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु यहां के मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं।
उत्तर प्रदेश से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर स्थित कर्नाटक राज्य में ऐसी जगह है, जिसे दक्षिण की काशी कहा जाता है। कर्नाटक में शिवगंगे और महाकूट नाम की दो जगह ऐसी है, जो दक्षिण के काशी के नाम से प्रसिद्ध है। दोनों ही जगहों पर भगवान शिव के मंदिर बने हुए हैं और इन जगहों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।
महाकूट मंदिर
कर्नाटक के बागलकोट जिले में बादामी गुफाओं से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर महाकूट का मंदिर है। यहां पर भगवान शिव का मंदिर बना है, जिसे महाकुटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की शिल्पकला अद्भुत है। इसका निर्माण नागर और द्रविण शैली में हुआ है। आज से करीब 1500 साल पहले छठी और सातवीं शताब्दी के बीच चालुक्य वंश के राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी स्थान पर अगस्त्य मुनि ने दो राक्षस- वातापि और इल्वाल का वध किया था। यहां पर कुछ शिलालेख भी बने हुए हैं, जिनपर मंदिर में दान करने वाले राजाओं और उनकी पत्नियों के नाम कन्नड़ और संस्कृत भाषा में लिखे हुए हैं। मंदिर का द्वार, दरबार और गर्भगृह की महिमा भी अद्भुत है। महाकूट मंदिर परिसर में एक विशाल सरोवर है, जिसे विष्णु पुष्करिणी सरोवर या पाप विनाशन तीर्थ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान मात्र से लोगों के पाप धुल जाते हैं।
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शिवगंगे मंदिर
यह मंदिर टुमकुर जिले के डाबासपेट में स्थित है। इसे भी दक्षिण का काशी कहा जाता है। शिवगंगे पहाड़ी की ऊंचाई 1368 मीटर है और पहाड़ी की चोटी पर नंदी बैल की मूर्ति बनी हुई है। यहां तक पहुंचने की चढ़ाई भी काफी मुश्किल है। इस पहाड़ी की खास बात ये है कि इसकी आकृति शिवलिंग जैसी नजर आती है। यहां पर भगवान शिव, पार्वती, गंगा, गंगाधरेश्वरा, होन्नादेवी आदि के मंदिर बने हुए हैं।
सबसे प्रसिद्ध गंगाधरेश्वरा मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां पर महादेव का अभिषेक घी से कराने की परंपरा है। इस स्थान पर एक छोटा सा कुण्ड भी बना हुआ है। कहा जाता है कि कुण्ड में सीधे पाताल से पानी आ रहा है और केवल भाग्यशाली लोग ही इस पानी को छू पाते हैं। इसी पहाड़ी पर एक शांतथला नाम से एक पॉइंट भी है, जिसे सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है।
Published By : Mohit Jain
पब्लिश्ड 15 April 2023 at 06:39 IST