अपडेटेड 7 April 2024 at 21:15 IST

आजाद भारत में वो 4 लोकसभा चुनाव, जब बड़े नेताओं के खिलाफ नहीं उतरे विपक्ष के प्रत्याशी

आजाद भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहास में कई बार ऐसा भी हुआ जब किसी बड़े उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा या फिर ने नामांकन वापस ले लिया।

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जब बड़े नेताओं के खिलाफ नहीं उतरे विपक्ष के प्रत्याशी | Image: PTi

Lok Sabha Elections 2024 : लोक सभा चुनाव 2024 का चुनाव प्रचार अपने पूरे शबाब पर है। अपने-अपने स्टार प्रचारकों के साथ हर पार्टी चुनाव प्रचार में जुटी है। देश भर में कुल 7 चरणों में मतदान होना है। पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन अब बंद हो चुका है, लेकिन अभी भी कई सीट पर पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है।

इसी बीच मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट चर्चा चर्चा में बनी हुई है। यहां INDI गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा खारिज हो गया है। बीजेपी ने अपनी राज्य इकाई के प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा को इस सीट से मैदान में उतारा हुआ है। हालांकि, आजाद भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहास में कई बार ऐसा भी हुआ जब किसी बड़े उम्मीदवार के खिलाफ दूसरी पार्टी ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा या फिर प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया।

राजीव गांधी के खिलाफ BJP ने नहीं उतारा उम्मीदवार

आजाद भारत में साल 1984 बहुत अहम है। इसी साल इंदिरा गांधी की हत्या की गई और इसी साल भारत में अब तक के सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे। 1984 में हुए आम चुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ विपक्ष ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। राजीव गांधी उस वक्त देश के प्रधानमंत्री थे और अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीता था।

1984 के आम चुनाव में विपक्ष की भूमिका लोक दल और भारतीय जनता पार्टी निभा रही थी। राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा था। राजीव गांधी ने उस वक्त रिकॉर्ड 3 लाख 15 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।

अटल के खिलाफ कांग्रेस का पर्चा वापस

इस लिस्ट में दूसरा नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का है। 2004 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने उनके खिलाफ अखिलेश प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन चुनाव से पहले ही उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके बाद कांग्रेस ने निर्दलीय प्रत्साशी राम जेठमलानी को समर्थन देने दिया था और जेठमलानी को महज 57 हजार वोट मिले थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। यह चुनाव अटल बिहारी का आखिरी चुनाव था।

सुषमा स्वराज कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन खारिज

2009 के लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट से सुषमा स्वराज की जीत हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र होने के कारण विदिशा सीट खूब चर्चा में थी। कांग्रेस ने बहुत माथापच्ची के बाद उनके खिलाफ पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को प्रत्याशी बनाया था। गाजे-बाजे के साथ उन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल किया, लेकिन बी फॉर्म जमा नहीं करने के कारण रिटर्निंग अधिकारी ने नामांकन खारिज कर दिया था। इस चुनाव में 3 लाख 89 हजार वोटों से सुषमा स्वराज की जीत हुई थी।

निर्विरोध सांसद बनीं डिंपल यादव

उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा पर 2012 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव को निर्विरोध चुना गया था। 2012 में यूपी की सत्ता में समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे। जिसके बाद कन्नौज लोकसभा सीट खाली हो गई थी। सपा ने यहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा था।

इस चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतारा जरूर था, लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार जगदेव सिंह यादव अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे। इसके अलावा कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने पर्चा भरा जरूर था, लेकिन नामांकन वापिस ले लिया था। रिटर्निंग ऑफिसर ने डिंपल यादव को निर्विरोध विजेता घोषित किया था।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 7 April 2024 at 21:15 IST