अपडेटेड 2 March 2024 at 16:13 IST

अबकी बार 400 पार का नारा, 'फर्स्ट लिस्ट फर्स्ट'... लोकसभा चुनाव में PM Modi का क्रिकेट वाला प्लान?

PM मोदी का प्लान चुनाव में सिर्फ जीत की हैट्रिक नहीं, एक विशाल स्कोर खड़ा करना है। स्कोर 400 पार जाने का है, जिसमें अकेले BJP 370 का टारगेट लेकर पिच पर उतरी है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | Image: PTI/File

Lok Sabha Election 2024 : खेल के मैदान पर उत्साह और दबाव किसी खेल की जीत और हार से जुड़ा होता है। मैदान पर आने से पहले हर टीम की रणनीति होती है, पर जब विशाल स्कोर सामने होता है तो दूसरी टीम के खिलाड़ियों पर मानसिक दबाव खुद-ब खुद बन जाता है और आखिर में यही दबाव हार का कारण होता है। इसी के समानांतर राजनीति को रखा जा सकता है, जिसमें रणनीति और दबाव का खेल सत्ता बना भी देता है और सत्ता बदल भी देता है। अभी लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी की कमान थामे चल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी 'क्रिकेट वाले प्लान' पर आगे बढ़ते हुए नजर पड़ते हैं।

अबकी बार 400 पार का नारा, 'फर्स्ट लिस्ट फर्स्ट'... लोकसभा चुनाव में PM मोदी का 'क्रिकेट वाला प्लान'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्लान 2024 लोकसभा चुनाव में सिर्फ जीत की हैट्रिक नहीं, एक विशाल स्कोर खड़ा करना है। स्कोर 400 पार जाने का है, जिसमें अकेले बीजेपी 370 का टारगेट लेकर सियासत पर पिच पर उतरी है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की 'खेल की कूटनीति' को जरा समझा जाए तो कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों पर इसका दबाव साफ जाहिर होता है।

पीएम मोदी का स्वागत करते हुए जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह (Image: File/Facebook)

बीजेपी के कितने पक्ष में हैं आंकड़े?

आंकड़ों को जरा समझा जाए तो 2019 में बीजेपी ने अकेले 303, जबकि NDA के खाते में 351 सीटें आई थीं। विपक्षी गठबंधन यूपीए 90 सीटों पर सिमट चुका था, जिसमें कांग्रेस की 52 सीटें थीं।

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव तक बीजेपी का शासन कई राज्यों में नहीं था। 2019 के चुनावों से पहले स्थिति बदल चुकी थी, क्योंकि 2018 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्य बीजेपी के हाथ से चले गए थे। दक्षिण भारत में कर्नाटक ही अकेला राज्य रहा है, जहां बीजेपी सत्ता में आई। शासन के हिसाब से दिसंबर 2019 तक बीजेपी का ग्राफ गिरकर 34 फीसदी क्षेत्रफल और 44 फीसदी आबादी तक सिमट गया था। जब 2014 में बीजेपी की सरकार बनी, 5 जून 2014 को नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। उसी साल दिसंबर तक देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी और लगभग 53 फीसदी क्षेत्रफल पर बीजेपी काबिज हो चुकी थी। दिसंबर 2017 तक देश के 78 फीसदी क्षेत्रफल और 69 फीसदी आबादी पर बीजेपी का राज था, जो उसका पीक समय था।

मौजूदा वक्त की बात कर लें तो अब देश के 58 फीसदी क्षेत्रफल और 57 फीसदी आबादी पर भारतीय जनता पार्टी का शासन है। देश के 16 राज्य हैं, जहां बीजेपी या तो अकेले सत्ता में है या उसके समर्थन से सरकार चल रही है। ऐसे में संभावनाएं हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Image: File)

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‘फर्स्ट लिस्ट फर्स्ट’

बीजेपी की 'फर्स्ट लिस्ट फर्स्ट' सबसे अहम साबित हो सकती है। कई दिनों से दिल्ली में मंथन चला है। बताया जाता है कि 155 सीटें फाइनल हो चुकी हैं और चुनाव की तारीखों से पहले ही बीजेपी की पहली लिस्ट आ सकती है। इस मामले में वो कांग्रेस जैसे बड़े दलों के काफी आगे होगी और एक तरीके से साइकोलॉजिकल प्रेशर विपक्ष पर बढ़ेगा। लोकसभा चुनाव में आंकड़ा बढ़ाने के लिए बीजेपी का फोकस इस बार कमजोर सीटों पर ज्यादा है। 160 सीटें हैं, जहां बीजेपी की पकड़ पिछली बार कमजोर पड़ी। इन 160 सीटों पर बीजेपी को जीतने में मुश्किल रही है या बहुत ही कम वोटों के अंतर से हार मिली। अभी इन 160 सीटों पर जीत के लिए 'फुल प्रूफ प्लान' के साथ बीजेपी मैदान में उतरना चाहती है। बताया जाता है कि बीजेपी अपनी पहली लिस्ट में कमजोर सीटों पर ही उम्मीदवार उतार सकती है, ताकि जनता के बीच उम्मीदवारों को जाने का ज्यादा मौका मिल सके।

कैसे 'दबाव' में है पूरा विपक्ष?

बीजेपी का टारगेट और नीति एकदम स्पष्ट है, लेकिन रणनीति के मामले में विपक्ष बहुत पीछे है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि बीजेपी के बार-बार 400 पार के नारे से विपक्ष का संतुलन बिगड़ चुका है। एक तरीके से भारी दबाव विपक्ष पर बना है, जैसे दूसरी टीम पर क्रिकेट के मैदान में होता है। विपक्ष की कोई खास रणनीति अभी तक बनी नहीं है, आपसी झगड़े दूर हुए नहीं है। जैसे-तैसे कई महीनों की मेहनत के बाद पिछले साल जून में विपक्ष के सारे दलों ने मिलकर एक गठबंधन भी बनाया था, जो बिखर चुका है। नीतीश कुमार की जदयू, जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल जैसे संगठन 'INDI' गठबंधन छोड़ चुके हैं। यूपी, दिल्ली, हरियाणा समेत 4-6 राज्यों को छोड़ दें तो देशभर में INDI गठबंधन में सीट बंटवारा तक नहीं हो पाया।

INDI अलायंस की बैठक में शामिल ममता बनर्जी और कांग्रेस के कुछ नेता (Image: File)

INDI गठबंधन की तरफ से संयोजक और यहां तक कि प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय किए जाने थे। अभी सब कुछ ठंडे बस्ते में जा चुका है। INDI के जिस लोगो और झंडे के साथ सभी को उतरना था, वो अभी तक बना ही नहीं है। ये सब कुछ INDI गठबंधन के भीतर बने दबाव को साफ साफ दिखाता है। अभी ये दबाव बीजेपी को जीत की हैट्रिक लगाने से ज्यादा गठबंधन को बचाए रखने का बन चुका है। इसी प्रेशर में विपक्ष रन स्कोर में पिछड़ा तो बीजेपी अपने प्लान में बिल्कुल सफल हो जाएगी।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 2 March 2024 at 14:35 IST