अपडेटेड 7 June 2024 at 23:42 IST

Modi 3.O में मंत्रालयों पर मंथन, नीतीश-चंद्रबाबू नायडू की किन विभागों पर नजर,कितना बड़ा मंत्रिपरिषद?

मोदी तीसरी बार देश की कमान बतौर PM संभालेंगे।इसके साथ ही 14 सहयोगी दलों में से किसे कौन से मंत्रालय मिलेगा इसे लेकर कयासबाजियों का दौर भी चालू हो गया है!

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मंत्री परिषद में कौन-कौन? | Image: PTI

NDA Ministries Row: चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने आंध्र प्रदेश में कमाल कर दिया।  16 सीटों पर कब्जा जमाया तो एनडीए में शामिल नीतीश कुमार ने बिहार में 12 सीटें हासिल की और इस तरह एनडीए के बड़े सहयोगियों के तौर पर दोनों उभरे। डे 1 से ही एक नैरेटिव सेट किया जाने लगा कि ये गठबंधन की सरकार गठित हो ही नहीं पाएगी, लेकिन हुआ इसके उलट। संसदीय दल की बैठक हुई और नरेंद्र मोदी को नेता चुन लिया गया।

गठन से पहले ही माहौल ऐसा बनाया गया कि अब मंत्रालयों को लेकर रस्साकशी होगी। खबर आई कि नीतीश कुमार की पार्टी को रेलवे तो टीडीपी को आईएंडटी चाहिए। सूत्र और भी दलों की बात कर रहे हैं। आखिर किसको कौन सा मंत्रालय मिलेगा? चर्चा 4:1 की भी है, यानि जिसके 4 सांसद उसे 1 पद या फिर 4 अहम मंत्रालय अपने पास और उस पर सहयोगी दल को एमओएस यानि राज्य मंत्री का पद। काउंसिल ऑफ मीनिस्टर्स में कौन शामिल है, तादाद कितनी है इसका खुलासा 9 जून को हो जाएगा। इसी दिन मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण करेगा।

किसकी नजर किस पर?

सीएम नीतीश कुमार के करीबी और उनकी पार्टी की सांसद लवली आनंद के पति आनंद मोहन ने रेल मंत्रालय की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा भी कुछ ऐसा ही किया जा रहा है। वहीं  तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के सूत्रों इशारा कर रहे हैं कि पार्टी की प्राथमिकता आईटी मंत्रालय, बंदरगाह एवं जल संसाधन और शहरी विकास हैं। कहा जा रहा है कि टीडीपी की नजर वित्त राज्य मंत्री पद पर भी है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि जेडीयू ने रेलवे, कृषि और वित्त जैसे अहम मंत्रालय मांगे हैं, जबकि टीडीपी ने लोकसभा स्पीकर का पद और दो अतिरिक्त मंत्रालय मांगे हैं।

जयंत चौधरी को चाहिए क्या?

एनडीए (NDA) बैठक में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार संसदीय दल का नेता चुने जाने पर  बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के तमाम नेता मौजूद रहे। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने शुक्रवार को ट्वीट में लिखा, 'एनडीए (न्यू-डेवलप्ड-एस्पिरेशनल इंडिया) ने तीसरे ऐतिहासिक कार्यकाल के लिए नरेंद्र मोदी जी को हमारा प्रधानमंत्री चुन लिया है।' तो खबर ये है कि आरएलडी ने किसान या युवाओं से संबंधित मंत्रालय की डिमांड रखी है। आरएलडी विधायक अनिल कुमार ने कहा भी-  'हमें लगता है कि जयंत चौधरी को अहम जिम्मेदारी मिलनी चाहिए... आरएलडी की जो विचारधारा है वह किसान और मजदूरों की है। आरएलडी की प्राथमिकता में किसान और नौजवान हैं...उन्हीं को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी मिले तो अच्छा रहेगा।'

चर्चा 4:1 की

सूत्र  4:1 फॉर्मूला की बात कर रहे हैं। बीजेपी इसी फॉर्मूले को मूर्त रूप दे सकती है। जिसको अलग अलग तरीके से परिभाषित किया जा रहा है।  कुछ इसे 240 सांसदों वाली बीजेपी के अहम मंत्रालय अपने पास रखने की बात कर रही हैं। जैसे  गृह, वित्त, रक्षा और विदेश जैसे बड़े मंत्रालय बीजेपी के पास रखेगी , जबकि उसके सहयोगियों को इन मंत्रालयों में राज्य मंत्री  का पद दिया जाएगा। तो ये है 4:1 का फॉर्मूला नंबर 1।

इसी फॉर्मूले का एक और बिंदु भी है। इस फॉर्मूले के तहत जेडीयू को तीन कैबिनेट मंत्री और एक या दो राज्य मंत्री पद मिलने की संभावना है, जबकि टीडीपी को 2 कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री पद मिल सकता है।

दूसरा फॉर्मूला चार सांसदों के लिए, एक पार्टी को एक कैबिनेट मंत्री पद मिलने पर टिका है। इस गुणा भाग से देखें तो टीडीपी के पास 16 सांसद हैं, तो उसे चार कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं, जबकि 12 सांसदों वाली JDU को 3 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

तो फिर चिराग को कितने?

अगला सवाल उठता है कि फिर शिवसेना और चिराग पासवान के हाथ क्या लगेगा? इस फॉर्मूले से 7 सांसदों वाले शिवसेना-शिंदे गुट को 2 कैबिनेट मंत्री और पांच सांसदों वाले एलजेपी (रामविलास गुट) को एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री पद से संतोष करना पड़ सकता है। एलजेपी आर से संभावनाएं प्रबल हैं कि चिराग को मंत्री पद पर बैठाया जा सकता है।

क्या अटल जी जैसा होगा जंबो मंत्रिपरिषद?

अटल जी ने मिली जुली सरकार बखूबी चलाई। अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। इतने ज्यादा मंत्री होने के कारण उनके मंत्रिमंडल को जंबो मंत्रिमंडल भी कहा जाता था। मई 1998 में भारतीय जनता पार्टी  के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की घोषणा हुई थी। उस समय गैर कांग्रेसी सरकार के गठन के निर्माण में यह पहला कदम था।  एक साल में ही गठबंधन टूट गया। इसके बाद वर्ष 1999 में गठबंधन में कुछ और नए दलों को शामिल कर इसका विस्तार किया गया। 1999 के लोकसभा चुनावों में इसके परिणाम बेहतर निकले। राजग ने पूरे 5 साल सरकार बेहतरीन तरीके से चलाई। तो सवाल यही उठ रहा है कि क्या 14 दलों के मेल से बनी इस सरकार में भी 81 मंत्री होंगे?

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 7 June 2024 at 21:44 IST