अपडेटेड 5 June 2024 at 11:47 IST

बिहार में पप्पू पास, पूर्णिया में धाकड़ जीत और खत्म हुआ 14 साल से चला आ रहा ये सूखा

पप्पू यादव ने पूर्णिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने JDU के उम्मीदवार को कड़ी शिकस्त दी।

Follow :  
×

Share


पप्पू यादव | Image: pti

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं। इस बार के चुनाव में बिहार की भी कुछ सीटें हॉट सीट बनी हुई थी और इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की चर्चा पूरे देश में हुई। ऐसी ही एक सीट थी पूर्णिया। बिहार की पूर्णिया सीट का परिणाम सामने आ चुका है। इस बार यहां से निर्दलीय उम्मदीवार के रूप में पप्पू यादव ने जीत हासिल की है। इस जीत के साथ ही उन्होंने एक नया इतिहास भी रच दिया।

पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव ने जीत का झंडा फहरा दिया। उन्होंने कांटे के मुकाबले में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जेडीयू के संतोष कुमार को 23 हजार से वोटों के अंतर से हरा दिया। वहीं, RJD उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं। 2010 के बाद यह पहला मौका जब बिहार के किसी सीट से कोई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीता हो। 2019 के चुनाव में संतोष कुमार कुशवाहा ने कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को हराया था।

पप्पू यादव ने रचा इतिहास

साल 2010 में सूबे की बांका लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के बाद यह पहला मौका है जब बिहार की किसी सीट से कोई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचेगा। चुनाव से पहले पहले पप्पू ने अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर दिया था। मगर कांग्रेस ने जब पूर्णिया से टिकट नहीं दी तो निर्दलीय मैदान में उतर गए।

बतौर निर्दलीय पप्पू की तीसरी जीत

बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव की लोकसभा चुनाव में तीसरी और कुल मिलाकर चौथी चुनावी जीत है। पप्पू इससे पहले भी दो बार निर्दलीय सांसद रहे हैं और दोनों ही बार वह पूर्णिया सीट से ही संसद तक का रास्ता तय किया था। पप्पू ने पूर्णिया लोकसभा सीट से 1991और 1999 का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ही जीता था।

पप्पू ने दी थी चेतावनी

मतगणना से पहले पप्पू यादव ने चुनाव आयोग को खुली चुनैती ने भी दी थी। उन्होंने कहा था, "हम कलेक्टर और अधिकारी के साथ सहयोग करना चाहते हैं। मतगणना पारदर्शी होनी चाहिए, अन्यथा 'मरता क्या न करता'। 'यदि ज़बरदस्ती लोकतंत्र की मौत होगी, तो महाभारत का संग्राम होगा'।लोकतंत्र को बचाने के लिए पूर्णिया और बिहार का हर कार्यकर्ता कल मरने के लिए तैयार हो जाए। 'कफ़न बांध के आएं'।

यह भी पढ़ें: बिहार में NDA ने मारी बाजी फिर भी नीतीश के हाथ में चाबी! INDI लगा रही जोर; 'खेला' होगा? समझें समीकरण

Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 5 June 2024 at 11:22 IST