अपडेटेड 5 March 2024 at 13:22 IST

लोकसभा चुनाव: कौन हैं BJP उम्मीदवार माधवी लता? जो AIMIM के गढ़ में घुसकर ओवैसी को दे रही हैं चुनौती

भाजपा की पहली लिस्ट में माधवी लता का नाम शामिल है। फायर ब्रांड नेता जिन्हें ओवैसी के मुकाबले खड़ा किया गया है।

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असदुद्दीन के गढ़ में माधवी लता की धमक, भाजपा ने दिया टिकट | Image: PTI/ X

Hyderabad News:  तेलंगाना की फिजाओं में KML अम्मा यानि कोंपेला माधवी लता नाम की गूंज सुनाई देने लगी है। सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने बेसहारा मुस्लिम महिलाओं के लिए खड़ी रहती हैं तो सनातन के प्रति भी समर्पित हैं। भारतीय संस्कृति के प्रचार में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं।

भाजपा ने पहली बार हैदराबाद सीट से किसी महिला को चुनावी समर में उतारा है। वो भी स्थापित असदुद्दीन ओवैसी के मुकाबले में उन्हीं के गढ़ में!

सुर्खियों में लता अम्मा

माधवी लता की पहचान भरतनाट्यम डांसर, सामाजिक कार्यकर्ता और अब भाजपा की ओर से उतारी गई उम्मीदवार के तौर पर हो गई है। मुस्लिम महिलाओं के लिए भी उसी तत्परता से काम करती हैं जितना सनातन के लिए। माधवी ट्रस्ट और संस्थानों के माध्यम से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं। उनका सोशल मीडिया अकाउंट बताता है कि वो लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। साथ ही वह कई सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़ी रहीं। एक गौशाला भी चलाती हैं और स्कूल-कॉलेजों में हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति पर भाषण भी देती हैं।

भाजपा नेत्री का विरिंची नाम का अस्पताल भी है जिसकी वो चेयरपर्सन हैं। माधवी लता की ख्याति हिंदू समर्थक के तौर पर है।

पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं फिर भी...

माधवी लता का राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा। वो खुद भी सक्रिय राजनेता नहीं थी। सुर्खियों में तब आईं, जब तीन तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं की आवाज बनीं। विभिन्न मुस्लिम महिला समूहों ने इस मामले में शहर के अलग-अलग इलाकों में बात करने के लिए उन्हें बुलाया जाता रहा और उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। लता असदुद्दीन की आलोचक भी मानी जाती हैं। खुलकर कहती हैं कि जीत को लेकर 110 परसेंट आशवस्त हैं। ओल्ड सिटी की  गरीबी, बेबसी और पिछड़ेपन के लिए ओवैसी को जिम्मेदार मानती हैं।   शायद यही वजह रही कि उन्हें पिछले बार के भागवत राव के मुकाबले ज्यादा बेहतर समझा गया और हैदराबाद से टिकट थमाया गया।
 

वोट शेयर में इजाफा भी एक वजह

2019 के चुनाव में राव को ओवैसी के खिलाफ टिकट दिया था। तब उन्हें कुल 2,35,285 वोट मिले थे, जबकि ओवैसी को 5,17,471 वोट।  बीते 10 सालों में तेलंगाना में बीजेपी का वोट शेयर काफी हद तक बढ़ा है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 7 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2023 के विधानसभा में 15 फीसदी वोट मिले। विधानसभा चुनाव के इतिहास में भी पहली बार में पार्टी ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया। इसमें हैदराबाद के आसपास की चारमीनार, कारवां, एलबी नगर, राजेंद्रनगर, अंबरपेट, कुथबुल्लापुर और सनथनगर सीटें शामिल हैं। महिला उम्मीदवार, सामाजिक कार्यकर्ता, मुस्लिम महिलाओं के बीच अच्छी पकड़ के अलावा बढ़ता वोट शेयर को ही ध्यान में रख भाजपा ने माधवी लता जैसे व्यक्तित्व पर दांव लगाया है! ओवैसी के गढ़ में माधवी पर भरोसा जता पार्टी ने साइकोलॉजिकल दबाव जरूर बना लिया है।  ये बीजेपी के कॉंफिडेंस की मुनादी भी करता है।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 5 March 2024 at 13:10 IST