अपडेटेड 15 April 2023 at 15:28 IST

Jarkiholi Brothers : परिवार एक-दल अनेक, 18 सीटों वाले Belagavi में दबदबा

Jarkiholi फैमिली के पांच भाइयों- रमेश, सतीश, बालचंद्र, बिमाशी और लखन के दबदबे को Karnataka की राजनीति में नजरअंदाज करना मुश्किल है।

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Jarkiholi Brothers | Image: self

Karnataka Assembly Election 2023 : मई में होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा के चुनावों के लिए राजनीतिक दलों ने पूरी जान फूंक दी है। सत्ता की कुर्सी हासिल करने के लिए सभी पार्टियां जोर-शोर से लगी हुई हैं। कर्नाटक में इस बार के चुनाव कई दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, तो कई राजनीतिक घरानों की साख दांव पर लगी है। कर्नाटक में चुनावी वंशवाद की एक गहरी संस्कृति है। बरसों से यहां की राजनीति में वंशवाद का बोलबाला रहा है, जो एक बेहद असरदार पहलू भी है। जारकीहोली फैमिली भी कर्नाटक के राजनीतिक कुनबों में गिनी जाती है।

बेलगावी से आने वाली जारकीहोली परिवार का कर्नाटक की राजनीति में एक खास प्रभाव है। जारकीहोली फैमिली के पांच भाइयों- रमेश, सतीश, बालचंद्र, बिमाशी और लखन के दबदबे को कर्नाटक की राजनीति में नजरअंदाज करना मुश्किल है। जरकीहोली परिवार बेलगावी जिले में अपार राजनीतिक शक्ति रखता है। जारकीहोली ब्रदर्स कर्नाटक के प्रभावशाली और कारोबारी फैमिली से आते हैं। जारकीहोली कर्नाटक के प्रभावशाली नायक वाल्मीकि समुदाय से संबंधित हैं। इस परिवार के सदस्यों को अक्सर बेलगावी जिले में 'साहूकार' कहा जाता है। जारकीहोली भाइयों का उत्तरी कर्नाटक और पड़ोसी महाराष्ट्र में चीनी और शराब के क्षेत्र में बड़ा निवेश बताया जाता है।

दो दशक से बेलगावी में दबदबा

जारकीहोली फैमिली का कर्नाटक में जिनता दबदबा है, उससे दिलचस्प इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि हैं। जारकीहोली ब्रदर्स अब लगभग दो दशकों से बेलगावी में राज कर रहे हैं। मगर शायद ही देश के किसी अन्य हिस्सों में इस तरह की चुनावी लड़ाई नहीं होती होगी, जो बेलगावी में इन भाईयों के बीच देखने को मिलती है। कर्नाटक में जारकीहोली ब्रदर्स के बीच ही चुनावी लड़ाई देखी जाती है। क्योंकि 5 भाइयों में से वो दो गुटों बीजेपी और कांग्रेस के साथ बंटे हुए है।

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जरकीहोली भाइयों में सबसे बड़े रमेश (गोकाक विधानसभा सीट) और बालचंद्र (अराभावी सीट) से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, जबकि सतीश और लखन कांग्रेस के साथ हैं। सतीश यमकानमर्दी के कांग्रेस विधायक हैं और लखन एमएलसी हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन भाइयों ने जीत की तरफ बने रहने और कैबिनेट में जगह बनाने के लिए पार्टियों की अदला-बदली की है।

दिलचस्प बात ये भी है कि अलग-अलग राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने, पार्टियों से भागने और एक-दूसरे से टकराने के बावजूद भाइयों ने सत्ता संभाली है, जो जनता के बीच लोकप्रिय भी है। भले ही भाइयों को लगातार एक पार्टी से दूसरी पार्टी में अपनी निष्ठा बदलने के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बदलाव ने उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी पर उनकी पकड़ को प्रभावित नहीं किया है। कहा जाता है कि मतभेदों के बावजूद जारकीहोली भाइयों के लिए परिवार ही सब कुछ है। लोगों में चर्चाएं यहां तक होती हैं कि भाइयों के बीच दरार केवल एक दिखावा है।

सरकार बनाने और तोड़ने वाला जिला है बेलगावी

अगर जारकीहोली फैमिली के प्रभाव वाले बेलगावी की बात करें तो इस जिले को सरकार बनाने या तोड़ने वाले जिले के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह बड़े राजनीतिक घराने का नेतृत्व करने के साथ बड़ी संख्या में विधानसभा सीटों का भी नेतृत्व करता है। बेलगावी विधानसभा सीटों की संख्या के मामले में बेंगलुरु के बाद यह दूसरा सबसे अधिक इलाका है। 

बेलगावी में 18 विधानसभा सीटें

इस निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 18 सीटें आती हैं, जिनमें निप्पाणी, चिकोडी सदाल्गा, अथनि, कागवड, कुडची, रायबाग, हुक्केरी, अरभावी, गोकक, एमकानमार्दी, बेलगाम दक्षिण, बेलगाम ग्रामीण, खानपुर, कित्तूर, बैलहोंगल, सौंदत्ती येल्लम्मा और रामदुर्ग सीट शामिल हैं। 2018 में इन 18 सीटों में से 10 सीटें बीजेपी के खाते में गईं, जबकि 8 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया। 

2011 की जनगणना के अनुसार, बेलागवी में 47,79,661 की आबादी है। बताया जाता है कि बेलगावी जिले में 18 सीटों पर 5 निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व है, जबकि बचे हुए 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से ज्यादातर पर लिंगायत समाज का दबदबा रहता है। इसके अलावा ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय की भी यहां अच्छी खासी आबादी है।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 15 April 2023 at 15:20 IST