अपडेटेड 15 November 2025 at 14:39 IST
बिहार चुनाव रिजल्ट के बाद BJP का बड़ा एक्शन, पूर्व मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निकाला; लगे हैं गंभीर आरोप
बिहार विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद आरा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह पर भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा एक्शन लिया है।
बिहार विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद आरा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह पर भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा एक्शन लिया है। पार्टी ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों के चलते उन्हें निष्कासित कर दिया है। जानकारी के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरके सिंह के कई बयान पार्टी लाइन से अलग रहे, जिससे बीजेपी के भीतर असंतोष बढ़ता गया। उन्होंने राज्य की नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए कई मौकों पर पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाए थे। इससे चुनावी माहौल में बीजेपी की स्थिति असहज हो गई थी।
इसके अलावा आरके सिंह ने हाल के दिनों में जनसंपर्क रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बयानों का भी सार्वजनिक रूप से समर्थन किया था। पार्टी का मानना है कि इस तरह के रुख ने संगठन की छवि और एकजुटता को प्रभावित किया। हालांकि पहले माना जा रहा था कि चुनाव के बीच किसी कड़े फैसले से विपक्ष को मुद्दा मिल सकता है, लेकिन लगातार जारी विवादों के बाद संगठन ने कार्रवाई को जरूरी समझा।
बीजेपी के अनुशासन पैनल द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद पार्टी ने यह संकेत दिया है कि शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी या संगठन की दिशा से भटकने को लेकर अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
सम्राट चौधरी-अनंत सिंह को बताया हत्या का आरोपी
सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब सिंह ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह और RJD के सूरजभान सिंह को खुलेआम “हत्या का आरोपी” कहा। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति का अपराधीकरण बढ़ाने वाले ये चेहरे किसी भी तरह जनप्रतिनिधि होने के लायक नहीं हैं। इसके साथ ही सिंह ने नीतीश सरकार पर 62,000 करोड़ रुपये के बिजली घोटाले का आरोप लगाया।
उनका दावा है कि अडाणी समूह के साथ किया गया बिजली खरीद समझौता “जनता के साथ धोखा” है और इसमें भारी वित्तीय अनियमितताएं छिपी हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अडाणी पावर से 6.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगी, जबकि मौजूदा बाजार दर इससे काफी कम है। सिंह ने सवाल उठाया कि जब यह प्लांट NTPC द्वारा लगाया जाना तय था, और केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा भी हो चुकी थी, तो प्रोजेक्ट को अचानक निजी हाथों में क्यों सौंप दिया गया?
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 15 November 2025 at 13:01 IST