अपडेटेड 20 March 2024 at 13:37 IST

निरहुआ इफ्तार के बहाने सपा वोट बैंक में कर रहे सेंधमारी, आजमगढ़ में धर्मेंद्र के सामने रोचक मुकाबला

Azamgarh: मुस्लिम और यादव फैक्टर के जरिए समाजवादी पार्टी आजमगढ़ जीतने का सपना देख रही है। हालांकि दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने बड़े वोटबैंक में सेंध लगाई है।

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बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव और सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव | Image: File-Insta/X

Lok Sabha Election 2024 : उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और उनके प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ एक बार फिर कमल खिलाने की जुगत में लगे हैं। 2022 के उपचुनाव में दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के मजबूत किले को ढहा दिया था और अब दूसरी बार में सपा का इस जमीन से वर्चस्व मिटाने के लिए निरहुआ और बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है। आजमगढ़ में बीजेपी की नजर यादवों के साथ-साथ मुस्लिमों पर भी टिकी है।

समाजवादी पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण साधकर राजनीति करती रही है। कुछ इसी तरह मुस्लिम और यादव फैक्टर के जरिए समाजवादी पार्टी आजमगढ़ जीतने का सपना देख रही है। हालांकि इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सपा के मुस्लिम-यादव समीकरण में सेंधमारी की कोशिश शुरू कर दी है। बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ मुस्लिम मतदाताओं के बीच बीजेपी की पकड़ बढ़ा रहे हैं।

निरहुआ ने मुस्लिमों के समर्थन का दावा किया

निरहुआ ने हाल ही में एक इफ्तारी में हिस्सा लिया। मुबारकपुर नगर पालिका के अध्यक्ष प्रतिनिधि समीम अहमद के घर पर इफ्तारी रखी गई, जिसमें दिनेश लाल यादव शामिल हुए। उन्होंने दावा किया कि इस मौके पर हजारों मुस्लिम भाइयों का पूर्ण समर्थन और समीम अहमद का आगामी चुनाव में पूरी तरह से साथ देने का आश्वासन मिला।

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धर्मेंद्र यादव से दो कदम आगे निकले निरहुआ

फिलहाल दिनेश लाल यादव ऐसा करके समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव से दो कदम आगे बढ़ चुके हैं। निरहुआ के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। हालांकि निरहुआ की चाल धर्मेंद्र से तेज दिखाई पड़ती है। हालांकि प्रत्याशी बनाये जाने के बाद धर्मेंद्र यादव अभी तक आजमगढ़ नहीं पहुंचे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ लगातार अपने इलाके में एक्टिव हैं। वो लोगों से मिल रहे हैं, कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच रहे हैं और साथ ही अब मुस्लिम वोटबैंट में सेंधमारी की कोशिश से समाजवादी पार्टी की मुश्किल और बढ़ने वाली है।

दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और धर्मेंद्र यादव (Image: Insta)

क्या कहता है आजमगढ़ का जातीय समीकरण?

आजमगढ़ की कुल आबादी 46.13 लाख बताई जाती है। आजमगढ़ के अंतर्गत विधानसभा की कुल 10 सीटें आती हैं। आजमगढ़ में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, जो करीब 26 फीसदी हैं। उसके बाद मुस्लिम मतदाता यहां बड़ी भूमिका में हैं। इनकी संख्या करीब 24 फीसदी है। मुस्लिम-यादव के बाद ओबीसी और दलित वर्ग आबादी आजमगढ़ में रहती है। बताया जाता है कि आजमगढ़ में राजभर मतदाता भी 80 हजार के करीब हैं।

2022 में हो चुकी है निरहुआ और धर्मेंद्र में जंग

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है, जहां मुलायम सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक नेतृत्व करते आए हैं। हालांकि 2022 में भारतीय जनता पार्टी के नेता दिनेश लाल निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में सेंध लगाई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुने जाने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। वो आजमगढ़ से 2019 में जीते थे। अखिलेश के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव हुए। सपा ने अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से पार्टी उम्मीदवार बनाया था। बीजेपी की तरफ से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में निरहुआ आजमगढ़ में अखिलेश यादव से हार गए थे। हालांकि लोकसभा उपचुनाव में निरहुआ ने धर्मेंद्र को मात दी थी। आजमगढ़ सीट पर 23 जून 2022 को उपचुनाव हुआ और इस दौरान आजमगढ़ में 49.43 फीसदी वोट पड़े थे। दिनेश लाल यादव को 3.12 लाख से अधिक मत मिले, जबकि धर्मेंद्र यादव को 3.4 लाख से अधिक मत मिले थे। बसपा के गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार से अधिक मत मिले। 2024 में फिर से दिनेश लाल यादव और धर्मेंद्र यादव के बीच मुकाबला होने वाला है।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 20 March 2024 at 11:43 IST