अपडेटेड 11 February 2025 at 14:19 IST

बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवाचार और मजबूत साझेदारी की जरूरत: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवोन्मेषी दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की जरूरत है।

Rajnath Singh | Image: X- Rajnath Singh

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवोन्मेषी दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की जरूरत है। एयरो इंडिया 2025 के तहत आयोजित रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मानना ​​है कि कमजोर रहकर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और शांति सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

सिंह ने कहा, ‘‘आज, संघर्षों की बढ़ती संख्या हमारे विश्व को और अधिक अप्रत्याशित स्थान बना रही है। वर्चस्व की नयी लड़ाई, हथियार निर्माण के नए तरीके एवं साधन, सरकार से इतर तत्वों की बढ़ती भूमिकाएं तथा विघटनकारी प्रौद्योगिकियों ने विश्व व्यवस्था को और अधिक नाजुक बना दिया है।’’

उन्होंने कहा कि साथ ही, सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच का अंतर कम होता जा रहा है, क्योंकि ‘हाइब्रिड’ युद्ध (युद्ध का अपारंपरिक तरीका, जिसमें किसी विरोधी देश की सरकार को अस्थिर करने और कमजोर करने के लिए कूटनीति, राजनीति, मीडिया, साइबरस्पेस और सैन्य बल का प्रयोग किया जाता है) शांति काल में भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को निशाना बना सकता है।

सिंह ने कहा, ‘‘आज अग्रिम मोर्चे की परिभाषा तेजी से बदल रही है। इसके अलावा, साइबरस्पेस और बाहरी अंतरिक्ष के आयाम संप्रभुता की स्थापित परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवीन दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है। वैश्विक मंच पर भारत की भागीदारी सभी के लिए सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।’’

अधिकारियों के अनुसार, ‘हाइब्रिड मोड’ (भौतिक व डिजिटल माध्यम से भागीदारी) में आयोजित रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन का उद्देश्य तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के बीच मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना है। इस वर्ष का विषय ‘बिल्डिंग रेजिलिएंस थ्रू इंटरनेशनल डिफेंस एंड ग्लोबल इंगेजमेंट (ब्रिज)’ है, जो रक्षा क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन और रणनीतिक सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है।

अधिकारियों ने पहले कहा था कि सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है और मित्र देशों के रक्षा/सेना प्रमुखों एवं स्थायी सचिवों के अलावा लगभग 30 रक्षा मंत्री भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत के दृढ़ विश्वास को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम अपनी रक्षा क्षमताओं में बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने एक बहुत ही अनुकूल नीति व्यवस्था लागू की है जो आधुनिक अत्याधुनिक भूमि, समुद्री और वायु प्रणालियों की एक पूरी श्रृंखला में निवेश तथा उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।’’

उन्होंने कहा कि रक्षा में अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत का उभरना हमारी क्षमताओं और आकांक्षाओं का प्रमाण है।

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘आज हमारे पास बड़े भारतीय ‘स्टार्टअप परितंत्र’ के भीतर एक जीवंत रक्षा ‘स्टार्टअप तंत्र’ है, जो ‘यूनिकॉर्न काउंट’ (कम से कम 7,500 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले स्टार्टअप) के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे उभरते वांतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र, महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास आधार तथा उद्यमशीलता की भावना से समर्थित सहयोग के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं।’’

सिंह ने सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों से कहा कि भारत का कौशल आधार उसे अत्यधिक प्रतिस्पर्धी लागत पर उत्पादन करने में सक्षम बनाता है तथा देश अपने मित्रों और साझेदारों के साथ अत्याधुनिक रक्षा उपकरण, हार्डवेयर, सेवाएं और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको उन्नत प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन तथा नवाचार को बढ़ावा देने में हमारे साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा कूटनीति स्थायी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण हमारे साझेदार देशों की संप्रभुता के लिए पारस्परिक क्षमता निर्माण, समृद्धि और सुरक्षा पर जोर देता है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम लेन-देन वाले रिश्तों या समाधान थोपने में विश्वास नहीं करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय समाधान आदेश देने वाला नहीं हैं। इसके बजाय, हमारा लक्ष्य अपने साझेदारों को उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप समर्थन के माध्यम से अपने स्वयं के मार्ग निर्धारित करने के लिए सशक्त बनाना है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा निर्यात के लिए पसंदीदा साझेदार के रूप में भारत की स्थिति गुणवत्ता, विश्वसनीयता और साझेदारों की विशिष्ट आवश्यकताओं के प्रति प्रतिबद्धता से मजबूत होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रक्षा उद्योग अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लेकर लागत प्रभावी समाधान तक विविध आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा करने में सक्षम है।’’

उन्होंने कहा कि आतंकवाद, साइबर अपराध, मानवीय संकट और जलवायु जनित आपदाएं जैसी चुनौतियां सीमाओं से परे हैं और इनके लिए एकजुट प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘ब्रिज’ पहल संवाद को कार्रवाई योग्य परिणामों में बदलने, लचीली, अनुकूलनीय और दूरदर्शी साझेदारी को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सभी देशों के साथ मिलकर ऐसे समाधान के निर्माण के लिए तैयार है जो नए, न्यायसंगत और टिकाऊ हों। साथ मिलकर हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां सुरक्षा और समृद्धि साथ-साथ चलें और आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित हो।’’

Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 11 February 2025 at 14:19 IST