अपडेटेड 11 September 2025 at 16:34 IST

भारत का एक और धमाका, नौसेना का पहला स्वेदेशी 3D एयर सर्विलांस रडार, नहीं बचेंगे दुश्मनों के हवाई टारगेट; जानिए क्या है खासियत

यह रडार हवा में उड़ने वाले लक्ष्यों, जैसे विमानों और मिसाइलों को लंबी दूरी पर ट्रैक करने में सक्षम है। यह 470 किलोमीटर तक की रेंज और 30,000 मीटर (लगभग 100,000 फीट) की ऊंचाई तक लक्ष्यों का पता लगा सकता है।

Follow :  
×

Share


नौसेना का पहला स्वेदेशी 3D एयर सर्विलांस रडार | Image: X/Tataadvanced

3D Air Surveillance : भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। भारतीय नौसेना के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL) ने स्पेन की डिफेंस कंपनी इंद्रा (INDRA) के साथ मिलकर पहला लांजा नेवल 3D एयर सर्विलांस रडार सिस्टम (3D-ASR–Lanza-N) कमीशन किया है। यह रडार भारतीय नौसेना के युद्धपोत पर लगाया गया है। यह पहली बार है कि लांजा-एन रडार स्पेन के बाहर इस्तेमाल होगा।

3D एयर सर्विलांस रडार लांजा-एन एक अत्याधुनिक नौसैनिक रडार प्रणाली है, जो लंबी दूरी की हवाई निगरानी और मिसाइल रक्षा के लिए दुनिया के सबसे उन्नत रडारों में से एक माना जाता है। भारत में इस रडार को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के सहयोग से भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर लगाया गया है। पहली कमीशनिंग के बाद भारतीय नौसेना के फ्रिगेट (Frigate), विध्वंसक और विमानवाहक पोतों में अतिरिक्त रडार सिस्टम लगाए जा रहे हैं।

Lanza-N रडार क्या है?

यह दुनिया के सबसे एडवांस लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस और एंटी-मिसाइल रडार में से एक है, हवा और सतह दोनों के लक्ष्यों को 3D में ट्रैक करता है। इसकी रेंज 254 नॉटिकल माइल्स (लगभग 470 किमी) है। इसे खासतौर पर नौसैनिक उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। इसे भारत जैसे देश की उच्च आर्द्रता (High Humidity) और अधिक गर्मी वाले मौसम में काम करने के लिए बनाया गया है।

  • लंबी दूरी की निगरानी: यह रडार हवा में उड़ने वाले लक्ष्यों, जैसे विमानों और मिसाइलों को लंबी दूरी पर ट्रैक करने में सक्षम है। यह 470 किलोमीटर तक की रेंज और 30,000 मीटर (लगभग 100,000 फीट) की ऊंचाई तक लक्ष्यों का पता लगा सकता है।
  • 3D निगरानी: लांजा-एन तीन आयामों दूरी, दिशा और ऊंचाई में अपने टारगेट का सटीक पता लगाता है, जिससे यह हवाई और मिसाइल खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है।
  • सॉफ्ट-फेल तकनीक: यह तकनीक रडार को किसी भी खराबी के दौरान न्यूनतम प्रभाव के साथ काम करने में सक्षम बनाती है, जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़ती है।

इंद्रा की नेवल बिजनेस यूनिट की प्रमुख एना बुएंडिया (Ana Buendia) ने कहा, “यह परियोजना बड़ी संख्या में जहाजों के लिए रडार की आपूर्ति और तैनाती से कहीं आगे तक जाती है। इसने हमें टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ एक महत्वपूर्ण सहयोग स्थापित करने में भी सक्षम बनाया है, जिसके साथ हमने बेंगलुरु में एक रडार फैक्टरी बनाने के लिए काम किया है। इससे अब हमें सिस्टम का अधिक कुशलता से उत्पादन करने और सेवा दे सकेंगे।”

ये भी पढ़ें: Nepal Protest: GEN-Z के विद्रोह का नेपाल को चुकानी पड़ी बड़ी कीमत, हिंसा में अबतक 34 की मौत; हजार से ज्यादा लोग घायल

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 11 September 2025 at 16:34 IST