अपडेटेड 13 April 2024 at 18:54 IST

20000 फुट ऊंचा, बर्फीली हवा... कुछ ऐसा है सियाचिन ग्लेशियर, जहां भारतीय सेना ने पूरे किए 40 साल

दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत की सैन्य कौशल बढ़ाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

Follow :  
×

Share


सियाचिन ग्लेशियर में सेना के 40 साल | Image: PTI

Siachen Glacier Indian Army: भारी सामानों को उठाने में सक्षम हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों का उपयोग, सभी सतहों के लिए अनुकूल वाहनों की तैनाती, मार्गों का विशाल नेटवर्क बिछाया जाना उन कई कदमों में शामिल हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत की सैन्य कौशल बढ़ाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना ने अपनी मौजूदगी के 40 साल पूरे किये हैं और पिछले कुछ वर्षों में बुनयादी ढांचा बढ़ने से उसकी अभियानगत क्षमता में काफी सुधार आया है।

दुनिया का सबसे ऊंचा ग्लेशियर है सियाचिन

कराकोरम पर्वत शृंखला में करीब 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को बर्फीली और सर्द हवा से जूझना पड़ता है। भारतीय सेना ने अपने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत 13 अप्रैल, 1984 में इस ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम किया था।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना का नियंत्रण न केवल अद्वितीय वीरता और दृढ़ संकल्प की गाथा है, बल्कि प्रौद्योगिकी उन्नति और साजो-सामान संबंधी सुधारों की एक असाधारण यात्रा भी है जिसने सबसे दुर्जेय इलाकों में से एक इस क्षेत्र को अदम्य जोश और नवोन्मेष के प्रतीक में बदल दिया।’’

पिछले साल हुई थी पहली महिला सैन्य अधिकारी की तैनाती

उन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि खासकर पिछले पांच सालों में उठाये गये कदमों ने सियाचिन में तैनात इन जवानों के जीवन स्तर और अभियानगत क्षमताओं में सुधार लाने में लंबी छलांग लगायी है। पिछले साल जनवरी में सेना के इंजीनियर कोर की कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की अग्रिम चौकी पर तैनात किया गया था। एक अहम रणक्षेत्र में एक महिला सैन्य अधिकारी की यह ऐसी पहली अभियानगत तैनाती थी।

पिछले कुछ सालों में सियाचिन ग्लेशियर में हुआ बहुत सुधार

अधिकारी ने कहा कि सियाचिन में गतिशीलता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है। उन्होंने कहा, ‘‘मार्गों के विशाल नेटवर्क के विकास तथा सभी क्षेत्रों के लिए अनुकूल वाहनों के उपयोग ने ग्लेशियर में गतिशीलता में काफी सुधार लाया है।’’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीवी पुल जैसे नवोन्मेषों से सेना प्राकृतिक बाधाओं को पार पाने में समर्थ हुई है तथा हवाई केबलमार्गों में उच्च गुणवत्ता की ‘डायनीमा’ रस्सियों से सुदूरतम चौकियों में भी सामानों की बेरोकटोक आपूर्ति सुनिश्चित हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारी सामानों को ले जाने में सक्षम हेलीकॉप्टरों एवं ड्रोनों से इन चौकियों पर तैनात कर्मियों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में काफी सुधार आया है। ये चौकियां खासकर सर्दियों में सड़क संपर्क से कट जाती हैं।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘ विशेष कपड़ों, पर्वतारोहण उपकरणों, विशेष राशन की उपलब्धता से दुनिया के सबसे अधिक सर्द रणक्षेत्र में प्रतिकूल दशाओं से टक्कर लेने की सैनिकों की क्षमता बढ़ जाती है।’’

यह भी पढ़ें… दिल्‍ली-NCR में टेंपरेचर के टॉचर्र से राहत, बदला मौसम का मिजाज; IMD ने जताई बारिश की संभावना

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 13 April 2024 at 18:54 IST